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आभार दैनिक भास्कर:- भव्य संत समागम दिनांक: 07/05/2023 हिंदू एकजुट होंगे, तभी हिन्दू राष्ट्र के लिए आग्रसारीत होगें : महंत एवं मौके पर ट्रस्ट के सचिव सह समाजसेवी : आदित्य आर्य सिन्हा उर्फ सन्नी

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:::--- जन अखबार बिहार दो दिवसीय संत महा सम्मेलन में मोके ट्रस्ट के सचिव सह समाजसेवी आदित्य आर्य सिन्हा उर्फ सन्नी

दैनिक भास्कर के द्वारा दिनांक-18/05/2022:- कबीर सदन विचार प्रचार ट्रस्ट के सचिव मनोनीत होने पर एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह की अपने पेपर में जगह देने के लिए मिडिया/पत्रकार को आभार व्यक्त करता हूँ🙏

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पूरानानकार/थरमा मौजे थाना न०: 278 का नक्शा उपलब्ध हैं। -

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पथ निर्माण विभाग, उत्तर बिहार पथ अंचल मुजफ्फरपुर से लोक शिकायत निवारण अधिनियम 2005 के तहत्त मांगी गई सूचना

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_:::- पथ निर्माण विभाग का मेरे द्वारा लोक शिकायत का जवाब:-

अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।

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‘हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना, तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ। याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा। ‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर, फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा। दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा। ‘भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे, वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे। आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा।’ थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े। केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’! "दिनकर"

की दरिया अब तेरी खैर नहीं,

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की दरिया अब तेरी खैर नहीं, बूंदों ने बगावत कर ली है... नादान ना समझ बुज़दिल इनको, लहरों ने बगावत कर ली है... हम परवाने है मौत समां, मरने का किसको खौफ यहां... रे तलवार तुझे झुकना होगा, गर्दन ने बगावत कर ली है...

मुझे कुदरत की करनी, साफ़ दिख रही है

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बेबसी की तस्वीर, साफ़ दिख रही है लोगों का काला, इतिहास लिख रही है मर रही है इंसानियत कदम दर कदम, बस दिलों में सब के, ख़ाक दिख रही है मज़लूम बचाये कैसे अपनों की ज़िंदगी, इधर दौलत के दम पे, सांस बिक रही है हम बिखरे रिश्तों को कब तक संभालें, अब सभी के दिल में, फांस दिख रही है लुट रहा है आदमी ही आदमी के हाथों, लुटेरों की अब तो, हर ज़ात दिख रही है अब भी वक़्त बाक़ी है सुधर जाओ 'आदि' मुझे कुदरत की करनी, साफ़ दिख रही है

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (health and family welfare) को मैंने स्वास्थ्य केंद्र बलहा में मरीजों की असुविधा अव्यवस्थित व डॉक्टर की कमी एवं एएनएम की अनुपस्थिति का शिकायत ऑनलाइन आवेदन का जो ज्ञापन सौंपा था उसका स्क्रीनशॉट एवं श्री हर्ष मंगला एन एच एम प्रधान सचिव हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर दिल्ली का जवाब आप सभी के समक्ष उपलब्धि है ।

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग health and family welfare को मैंने जो ऑनलाइन आवेदन दिनांक:-15/04/2022 को ज्ञापन सौंपा था। हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर का ज़वाब स्वरूप ई-मेल पर दिनांक:-30/09/2022 को आया था जिसमें ऑफिसर श्री हर्ष मंगला डायरेक्टर एनएचएम1 प्रधान सचिव जी द्वारा बिहार सरकार को आवेदन देने का अनुरोध करने का आदेश दिया गया था। मैं अपनी पूरी निष्ठा मेहनत और त्याग से पंचायत का हर वो छोटी से छोटी समस्या को बिहार सरकार, विभाग, केंद्र सरकार तक आवाज उठाने का काम करता रहा हूं करते रहेंगे यह मेरा आपसे वादा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (health and family welfare) को मैंने ऑनलाइन आवेदन का जो ज्ञापन सौंपा था उसका स्क्रीनशॉट आप सभी के समक्ष उपलब्धि है ।

मैंने दिनांक:- 16/12/2021को गायघाट प्रखंड मुख्यालय के सामने सांकेतिक भुख हड़ताल किया था

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दिनांक:-29/06/2022 को दैनिक भास्कर व प्रभात खबर ने अपने अखबार में स्थान दिया। जोकी दिनांक:-26/06/22 को आंगनबाड़ी केंद्र 166 की अनियमितता की शिकायत डीएम साहब से किया था।

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दिनांक:-29/06/2022 को प्रभात खबर में प्रकाशित किया। जोकी दिनांक:-26/06/22 को आंगनबाड़ी केंद्र 166 की अनियमितता की शिकायत डीएम साहब से किया था। दिनांक:-29/06/2022 को दैनिक भास्कर ने अपने अखबार में स्थान दिया। जोकी दिनांक:-26/06/22 को आंगनबाड़ी केंद्र 166 की अनियमितता की शिकायत डीएम साहब से किया था।

आंगनबाड़ी बलहा केंद्र संख्या १६६ की अनियमितता की शिकायत डीएम साहब से की। जिसका निम्न आवेदन का छाया प्रति स्लीप अपडेट है

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स्नेह और आत्मीयता से आया है नववर्ष

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सुनहरे सपनों की झंकार, लाया है नववर्ष खुशियों के अनमोल उपहार लाया है नववर्ष आपकी राहों में फूलों को बिखराकर लाया है नववर्ष महकी हुई बहारों की ख़ुशबू लाया है नववर्ष अपने साथ नयेपन का तूफान लाया है नववर्ष स्नेह और आत्मीयता से आया है नववर्ष सबके दिलों पर छाया है नववर्ष आपको मुबारक हो दिल की गराईयों से नववर्ष।

एक नए मुकाम को पाना है,

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भूल कर बीती बातों को, एक नए मुकाम को पाना है, नए साल में हमको, एक नया इतिहास बनाना है, ऊपर उठना है अब हमको, हौसला ये बनाना है, रुकना नहीं है अब हमको, आगे कदम बढ़ाना है, नए साल में हमको, एक नया इतिहास बनाना है।

कठिन ज़िंदगी और सरल हो।

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ji नए वर्ष में नई पहल हो कठिन ज़िंदगी और सरल हो। अनसुलझी जो रही पहेली अब शायद उसका भी हल हो। जो चलता है वक्त देखकर आगे जाकर वही सफल हो। नए वर्ष का उगता सूरज सबके लिए सुनहरा पल हो। समय हमारा साथ सदा दे कुछ ऐसी आगे हलचल हो। सुख के चौक पुरें हर द्वारे सुखमय आँगन का हर पल हो सभी के लिए ये नया साल मंगलमय हो। Happy new year 💐💐💐💐💐💐

भरी सभा में सुधारों की, बात करते हैं।

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की नज़र नहीं है, नज़ारों की बात करते हैं। ज़मीन पर चाँद-सितारों की, बात करते हैं। वो हाथ जोड़कर, बस्ती को लुटने वाले। भरी सभा में सुधारों की, बात करते हैं

नये समय की नयी चुनौती

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नये समय की नयी चुनौती प्रश्न पुराने, यक्ष ! बदल दो ! वर्तमान पर चर्चा करती एक सभा है अंधी बहरी कोई कहता नहीं लोक से अब इसका अध्यक्ष बदल दो ! राजाओं के सम्मोहन में कब तक बैठोगे पैताने थोड़ी हिम्मत करो नशे से - जागो ,अपना पक्ष बदल दो ! सबको आया नहीं कभी भी हर युग में प्रासंगिक रहना यदि वे अपने तीर बदल दें तुम भी अपने वक्ष बदल दो ! जहाँ जहाँ भी पड़ें सुनायी तुमको गुप्तचरी पदचापें बिना बताये उन महलों को अपने अपने कक्ष बदल दो !

न था कोई कुसूर मगर, गुनहगार हो गए।

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यारों हम तो साजिशों के, शिकार हो गए, न था कोई कुसूर मगर, गुनहगार हो गए। कर दी फ़ना हमने तो सारी हसरतें अपनी, फिर भी अपनों की नज़र में, बेकार हो गए। अब तो बनते हैं रिश्ते हैसियत के हिसाब से, इधर तो सब के सब दौलत के, यार हो गए। यारो न भाती किसी को भी नेकियां अब तो, अब तो छल कपट के सारे, सरदार हो गए। खुश हैं हम तो यारा सह के आफ़तों का दौर, इसमें कितने न जाने चेहरे, नमूदार हो गए। खुशामद न करिये 'आदि' इन बड़े लोगों की, वो तो गवा के ज़मीर अपना, खुद्दार हो गए।

मिटने वाला मैं नाम नहीं…

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 मैं उस माटी का वृक्ष नहीं, जिसको नदियों ने सींचा है। बंजर माटी में पलकर मैंने… मृत्यु से जीवन खींचा हैं । मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ, शीशे से कब तक तोड़ोगे।२ मिटने वाला मैं नाम नहीं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।

वो तो नफरतों का शोरगुल, जुटाने पे लगा है

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 हर कोई कपट का फंदा, बनाने पे लगा है हर कोई औक़ात अपनी, जताने पे लगा है  परिंदों को तो शौक है बस आसमां छूने का,  मगर आदमी है कि गिरने, गिराने पे लगा है  न बची है किसी में खुल के जीने की तमन्ना,  चूंकि अपनों को अपना ही, दबाने पे लगा है  न भाता है आदमी को मोहब्बत का तराना,  वो तो नफरतों का शोरगुल, जुटाने पे लगा है  एक पल का पता नहीं ज़िन्दगी का फिर भी,  वो तो सौ बरस का सामां, जुटाने पे लगा है  जला था आशियाँ तो न की कोई भी तदबीर,  अब तो हर कोई उसकी ख़ाक, उठाने पे लगा है  ज़रा चैन से जीलूँ इतनी सी ख़्वाहिश है 'आदि',  मगर गुज़रा हर फ़साना मुझे, सताने पे लगा है

ना थकें कभी पैर

 ना थकें कभी पैर ना हिम्मत हारी है, हौंसला हैं ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने का, इसलिए अभी भी सफ़र जारी हैं।