मिटने वाला मैं नाम नहीं…
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं,
जिसको नदियों ने सींचा है।
बंजर माटी में पलकर मैंने…
मृत्यु से जीवन खींचा हैं ।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ,
शीशे से कब तक तोड़ोगे।२
मिटने वाला मैं नाम नहीं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।
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