की दरिया अब तेरी खैर नहीं,

की दरिया अब तेरी खैर नहीं, बूंदों ने बगावत कर ली है... नादान ना समझ बुज़दिल इनको, लहरों ने बगावत कर ली है... हम परवाने है मौत समां, मरने का किसको खौफ यहां... रे तलवार तुझे झुकना होगा, गर्दन ने बगावत कर ली है...

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