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ना थकें कभी पैर

 ना थकें कभी पैर ना हिम्मत हारी है, हौंसला हैं ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाने का, इसलिए अभी भी सफ़र जारी हैं।

जिधर देखूं स्वार्थपरायण संचार था।

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देखा मैंने चुनावी चक्रपात, जरुरत में होते कौन निसोत, कौन निकृष्ट सुधर रहें, बड़ी-बड़ी गाड़ी से उतर रहें।                उम्मीद किस पर विषाद, धन के होते प्रतियुद्ध, कह दो प्रपंचकारी से, अलसी कपटी हड़ताली से। संघर्ष में लथ-पथ अनपराध, पराधीन आदि समझो विमुग्ध, छल-प्रपंच सबको प्रश्रय गया है, कह दो सत्य घर में हार गया है। सर्वत्र विमुख तनाव पूर्ण में, देखा विलक्षण संसार असार में मुखड़ा पर निष्ठुरता प्रलोभ था, जिधर देखूं स्वार्थपरायण संचार था।

श्री कृष्ण ने साफ कहा हैं

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 श्री कृष्ण ने साफ कहा हैं कि बस कर्म तुम्हारा कल होगा और कर्म में सच्चाई हैं तो कर्म कहां निष्फल होगा हर एक संकट का हल होगा वो आज नहीं तो कल होगा लोहा जितना तपता हैं उतनी ही ताकत भरता हैं सोने को जितनी आग लगे वो उतरा प्रखर निखरता हैं हीरे पर जितनी धार लगे वो उतना खूब चमकता हैं मिट्टी का बर्त्तन पकता हैं तब धुन पर खूब खनकता हैं सूरज जैसा बनना हैं सूरज जितना जलना होगा नदियों सा आदर पाना हैं तो पर्वत छोर निकलना होगा और हम आदम के  बेटे हैं क्यों सोंचे राह सरल होगा कुछ ज्यादा वक्त लगेगा पर संघर्ष जरुर सफल होगा हर एक संकट का हल होगा वो आज नहीं तो कल होगा

अरविंद कुमार झा उर्फ राजू झा जी के मां की बरखी में सामिल हुआ।

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 आज दिनांक:- 09/08/2022 को गायघाट प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत राज-लदौर के आदर्श ग्राम लदौर में  Raju भाईजी के माँ की पहली बरखी में सामिल हुआ। मौके पर मौजूद श्री Shashank Shekher भाईजी, श्री J.P. Gami   भाईजी, मुखिया प्रत्याशी बलौर निधि श्री Rahul Kumar जी, पूर्व वार्ड सदस्य श्री Santosh Kumar जी, पूर्व मुखिया लदौर श्री Dipak Jha Jha जी, भारतीय जनता पार्टी के पूर्वी प्रखंड अध्यक्ष श्री विकाऊ यादव जी एवं साथ आये श्री अरुण कुमार सिंह जी, Rupesh Kumar जी आदि मौजूद थे।

मित्रता कैसी होनी चाहिए।

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 ⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️मित्रता⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️⚘️ हम स्वयं के पश्चात मित्रता शब्द के साथ सबसे अधिक छल करते हैं किंतु मित्रता कैसी होनी चाहिए......... तुलसी तृण जलकूल कौ, निर्बल निपट निकाज। कै राखै कै संग चलै, बाँह गहे की लाज ।। तुलसीदास जी ने दूब, अर्थात घास के गुणों में मानवीकरण कर अद्भुत संदेश का प्रतिपादन किया है। वे कहते हैं कि नदी के किनारों पर स्वतः ही पनपने वाली घास अत्यंत निर्बल एवं निकाज, अर्थात किसी काम में न आने योग्य प्राय: अनुपयोगी होती है। न ही उसमें बल होता है, न ही वह मनुष्य के किसी काम ही आती है, किंतु यदि कोई व्यक्ति नदी में डूबने लगता है और उस घास को पकड़ लेता है, तो वहीं निर्मल एवं अयोग्य घास संकटग्रस्त व्यक्ति को बचाने का हर संभव प्रयास करती है। अंततः वह घास या तो व्यक्ति की रक्षा करने में सफल हो जाती है और व्यक्ति के प्राणों की रक्षा कर लेती है, अथवा टूटकर व्यक्ति के साथ ही वेग में बह जाती है। दोनों ही स्थितियों में वह उसका साथ नहीं छोड़ती है। तुलसीदास जी ने इस दोहे के माध्यम से यह संदेश दिया है कि व्यक्ति का चरित्र भी इस घास की भांति होना चाहिए। सच्ची मित्रता यही है, जहां मित्र क

K. U. V. Puranankar-Balha

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 आज गायघाट प्रखंड के ग्राम पंचायत राज-लदौर अंतर्गत कुलदीप उच्च विद्यालय पूरानानकार - बलहा में आयोजित विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक में भाग लिया। और मुझे ज़मीन दाता सदस्य के रुप में विद्यालय शिक्षा प्रबंधक समिति सदस्य बनाया गया इसके लिए प्रस्तावक माननीय जिला परिषद सदस्य श्री जितेंद्र यादव जी एवं माननीय विधायक श्री निरंजन राय जी का आभार व्यक्त करता हूंँ।  तथा विद्यालय समस्या के निदान हेतु कार्य योजना बनाकर माननीय विधायक जी को सौंपा गया जैसे कि चारदीवारी बाल करवाना, छत की मरम्मत करवाना एवं सर्वप्रथम विद्यालय परिसर में अतिक्रमण मुक्त करवाना है। बैठक में विद्यालय शिक्षा प्रबंधन समिति के सम्मानित सदस्यगणों के साथ-साथ त्रिस्तरीय पंचायती राज के जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य लोगों सहित राजद के नेतागण एवं ग्रामीणों ने भाग लिया।
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 बहुत जल चुका हूँ , अब मुझे बुझाया जाए  इस शहर में कोई नया सूरज उगाया जाए   चाँद बहुत महँगा है हम गरीबों के लिए  हमारी बस्ती में जुगनुओं को बुलाया जाए   आदमी हैं तो आदमी की तरह पेश आएँ  चोट लगे अगर तो फिर चिल्लाया जाए   खूबसूरती खेतों-खलिहानों में टहलती है  देखना है तो गाँवों में मेला लगाया जाए   दाग-धब्बे से हैं हमारे मुल्क के चेहरे पर  गरीबों को किसी भी तरह छिपाया जाए   "विकास" की रफ़्तार जाननी है अगर  तो नाटक - नेपथ्य से पर्दा उठाया जाए