नये समय की नयी चुनौती

नये समय की नयी चुनौती प्रश्न पुराने, यक्ष ! बदल दो ! वर्तमान पर चर्चा करती एक सभा है अंधी बहरी कोई कहता नहीं लोक से अब इसका अध्यक्ष बदल दो ! राजाओं के सम्मोहन में कब तक बैठोगे पैताने थोड़ी हिम्मत करो नशे से - जागो ,अपना पक्ष बदल दो ! सबको आया नहीं कभी भी हर युग में प्रासंगिक रहना यदि वे अपने तीर बदल दें तुम भी अपने वक्ष बदल दो ! जहाँ जहाँ भी पड़ें सुनायी तुमको गुप्तचरी पदचापें बिना बताये उन महलों को अपने अपने कक्ष बदल दो !

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