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हर भाव समेटे मैं हूँ चला

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सीधा हूँ सटीक सरल हूँ मैं, मत छेड़ मुझे कि गरल हूँ मैं। हर भाव समेटे मैं हूँ चला, पत्थर भी मैं हूँ, तरल हूँ मैं। हर कदम नई है राह मेरी, तेरे मन पलता पहल हूँ मैं। सारी दुनिया चला संग लिये, भर आँख नमी भी सजल हूँ मैं। आँखों में रहा मैं तो बसता, सपनों का देखो महल हूँ मैं। मैं शब्द सारथी बन के चला, हर भाव उकेरे सफल हूँ मैं। ना काया देख तू आँका कर, ले हाथ कलम हूँ सबल हूँ मैं। ना अदना शब्द तू मान मुझे, ये जग सारा ही सकल हूँ मैं।

अब आदित्य ना सच बोलो

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बस नज़र नज़र की बात है। बस शहर शहर की बात है। ये समय सुहाना कितना है, बस पहर पहर की बात है। धरा ये कितनी लाल रही, बस समर समर की बात है। किसने कितनी है पी रखी, बस असर असर की बात है। सच एक भिखारी बन बैठा, बस अगर मगर की बात है। विषदंत छुपा सब काट रहे, बस ज़हर ज़हर की बात है। पथभ्रष्ट है पथद्रष्टा भी, बस डगर डगर की बात है। यौवन भी रवानीहीन रहा, बस लहर लहर की बात है। कलम भी कब है सच कहती, बस इधर उधर की बात है। अब आदित्य ना सच बोलो, बस कसर कसर की बात है। adityaaryasinha.blogspot.com

टस से मस नहीं होते

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हक़ीक़त के ख्वाब सपने नहीं होते, कुछ रिश्ते अपने नहीं होते! बिना फल लगे पेड़ नीचे नही झुकते! लाख कर लो जतन, दर्द मे आंसू नही रुकते! रख दो चाहे कलेजा निकाल कर, टस से मश नहीं होते, प्रेम के बीज मरुथल मे नही बोते! कुछ रिश्ते अपने नहीं होते। जीवन कुर्बान कर दो, चाहे उनके आन पर, इतरायेंगे ही वो अपने अभिमान पर, सब अजमा कर देखा है, उनके हाथ मे नफरत की रेखा है! पेड़ कितने बड़े हो अशमान नही छूते! कुछ रिश्ते अपने नहीं होते। दूर से भी गैरों के सितम ढाते है, मोहब्बत के करम कहाँ मिलते है मिले जब भी हम सराफत से, फ़टे दिल कहाँ सिलते है।

विनोद भाई की शादी में बैगनी सीतामढ़ी :10-04-2019

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प्रशांत भाई की शादी में नेपाल :17-04-2019

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उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है?

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उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? ज्वलंत मुद्दों पर आखिर चुप कौन रहता है? जनता ने जिसको अपना आवाज बनाया। उसने न्याय के ख़ातिर कहाँ-कहाँ भटकाया। दोष सरकार का हो तो मौन कौन रहता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? जुल्म सहते रहिए मुस्कुराते रहिए। हँसी की आड़ में गम छुपाते रहिए। जरा बताओ न कि इसमें कितना चैन मिलता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? वादे होते ही हैं मुकर जाने के लिए। क्या मुकरना काफी नही है सुधर जाने के लिए। ये जानते हुए भी आखिर फंसा कौन करता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है?

बचपन की यादें भाई के साथ

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