टस से मस नहीं होते
हक़ीक़त के ख्वाब सपने नहीं होते,
कुछ रिश्ते अपने नहीं होते!
बिना फल लगे पेड़ नीचे नही झुकते!
लाख कर लो जतन, दर्द मे आंसू नही रुकते!
रख दो चाहे कलेजा निकाल कर,
टस से मश नहीं होते,
प्रेम के बीज मरुथल मे नही बोते!
कुछ रिश्ते अपने नहीं होते।
जीवन कुर्बान कर दो, चाहे उनके आन पर,
इतरायेंगे ही वो अपने अभिमान पर,
सब अजमा कर देखा है,
उनके हाथ मे नफरत की रेखा है!
पेड़ कितने बड़े हो अशमान नही छूते!
कुछ रिश्ते अपने नहीं होते।
दूर से भी गैरों के सितम ढाते है,
मोहब्बत के करम कहाँ मिलते है
मिले जब भी हम सराफत से,
फ़टे दिल कहाँ सिलते है।
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