क्या मैं नींद में और

 था मैं नींद में और 

मुझे इतना 

रुलाया जा रहा था,


बड़े प्यार से मुझे 

फंसाया जा रहा था,


ना जाने 

था वह कौन सा अजब खेल 

मेरे जीवन में

बच्चों की तरह मुझे 

सताया जा रहा था,


जो कभी देखते थे मुझे 

मोहब्बत की निगाहें से

उन्हीं के हाथों से नफरत 

मुझ पर लुटाया जा रहा था,


मालूम नहीं क्यों

हैरान था हर कोई मुझे 

रोते हुए देखकर 

जोर जोर से हंसकर मुझे 

हर किसी के दिल से 

गिराया जा रहा था,


कांप उठी मेरी रुह 

वो मंजर देखकर 

जहां मुझे हमेशा के लिए 

दफनाया जा रहा था,


मोहब्बत की इंतहा

थी मेरे लिए 

उन्हीं दिलों के हाथों

कल तक मैं 

आजमाया जा रहा था।


                          आदित्य आर्य सिन्हा

                                 ।।रचयिता।।

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