हद से ज्यादा ना मिला, केवल मिला तो निराशा।।तेरे सितम का गिरा क़हर, मुझ पर परिताप बनकर।।ना होश ना ठिकाना, बस रहा तो तमाचा।।बिहोशी के मदहोश में, कष्ट परिचय हमारा।।मेरे हालात को ना परख, मुसकिल निकृत समझना।।गुम-ऐ-नाम ज़िन्दगी मेरा, रात कठिन घणघोर अंधेरा।।हुनर के आगे गूटपथ, रहा गुम का शिल-शिला।। आदित्य आर्य सिन्हा (रचनाकार)
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