उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है?

उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? ज्वलंत मुद्दों पर आखिर चुप कौन रहता है? जनता ने जिसको अपना आवाज बनाया। उसने न्याय के ख़ातिर कहाँ-कहाँ भटकाया। दोष सरकार का हो तो मौन कौन रहता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? जुल्म सहते रहिए मुस्कुराते रहिए। हँसी की आड़ में गम छुपाते रहिए। जरा बताओ न कि इसमें कितना चैन मिलता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? वादे होते ही हैं मुकर जाने के लिए। क्या मुकरना काफी नही है सुधर जाने के लिए। ये जानते हुए भी आखिर फंसा कौन करता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है?

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