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Showing posts from April, 2022

हर भाव समेटे मैं हूँ चला

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सीधा हूँ सटीक सरल हूँ मैं, मत छेड़ मुझे कि गरल हूँ मैं। हर भाव समेटे मैं हूँ चला, पत्थर भी मैं हूँ, तरल हूँ मैं। हर कदम नई है राह मेरी, तेरे मन पलता पहल हूँ मैं। सारी दुनिया चला संग लिये, भर आँख नमी भी सजल हूँ मैं। आँखों में रहा मैं तो बसता, सपनों का देखो महल हूँ मैं। मैं शब्द सारथी बन के चला, हर भाव उकेरे सफल हूँ मैं। ना काया देख तू आँका कर, ले हाथ कलम हूँ सबल हूँ मैं। ना अदना शब्द तू मान मुझे, ये जग सारा ही सकल हूँ मैं।

अब आदित्य ना सच बोलो

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बस नज़र नज़र की बात है। बस शहर शहर की बात है। ये समय सुहाना कितना है, बस पहर पहर की बात है। धरा ये कितनी लाल रही, बस समर समर की बात है। किसने कितनी है पी रखी, बस असर असर की बात है। सच एक भिखारी बन बैठा, बस अगर मगर की बात है। विषदंत छुपा सब काट रहे, बस ज़हर ज़हर की बात है। पथभ्रष्ट है पथद्रष्टा भी, बस डगर डगर की बात है। यौवन भी रवानीहीन रहा, बस लहर लहर की बात है। कलम भी कब है सच कहती, बस इधर उधर की बात है। अब आदित्य ना सच बोलो, बस कसर कसर की बात है। adityaaryasinha.blogspot.com

टस से मस नहीं होते

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हक़ीक़त के ख्वाब सपने नहीं होते, कुछ रिश्ते अपने नहीं होते! बिना फल लगे पेड़ नीचे नही झुकते! लाख कर लो जतन, दर्द मे आंसू नही रुकते! रख दो चाहे कलेजा निकाल कर, टस से मश नहीं होते, प्रेम के बीज मरुथल मे नही बोते! कुछ रिश्ते अपने नहीं होते। जीवन कुर्बान कर दो, चाहे उनके आन पर, इतरायेंगे ही वो अपने अभिमान पर, सब अजमा कर देखा है, उनके हाथ मे नफरत की रेखा है! पेड़ कितने बड़े हो अशमान नही छूते! कुछ रिश्ते अपने नहीं होते। दूर से भी गैरों के सितम ढाते है, मोहब्बत के करम कहाँ मिलते है मिले जब भी हम सराफत से, फ़टे दिल कहाँ सिलते है।

विनोद भाई की शादी में बैगनी सीतामढ़ी :10-04-2019

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प्रशांत भाई की शादी में नेपाल :17-04-2019

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उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है?

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उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? ज्वलंत मुद्दों पर आखिर चुप कौन रहता है? जनता ने जिसको अपना आवाज बनाया। उसने न्याय के ख़ातिर कहाँ-कहाँ भटकाया। दोष सरकार का हो तो मौन कौन रहता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? जुल्म सहते रहिए मुस्कुराते रहिए। हँसी की आड़ में गम छुपाते रहिए। जरा बताओ न कि इसमें कितना चैन मिलता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है? वादे होते ही हैं मुकर जाने के लिए। क्या मुकरना काफी नही है सुधर जाने के लिए। ये जानते हुए भी आखिर फंसा कौन करता है? उल्लू बना के उल्लू सीधा कौन करता है?

बचपन की यादें भाई के साथ

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पटना रैली में मंत्री सुरेश लहेरी से शिष्टाचार मुलाकात करते हुए 2018

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छोटी भांजी प्रथम बार स्कुल जाती हुई 2022-04-09

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वार्षिक भंडारा 2020 स्पेशल डे बलहा

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स्पेशल पार्टी मुजफ्फरपुर

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अपनी प्यारी सबसे छोटी बहन के साथ

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नानी मासी के साथ शिव मंदिर मोरो महादेव

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जन आंदोलन करते हुए गायघाट, मुजफ्फरपुर, बिहार

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निवेदन जनसभा सुशोभित करते हुए

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स्पेशल day fully enjoy

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होली स्पेशल

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प्रणयाम करते साहब आदित्य आर्य सिन्हा

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Kuch yaad smye ke sath

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adityaaryasinha.blogspot.com Aditya arya sinha Aditya arya sinha Aditya arya sinha Kuch yaad smye ke sath  

आपदा प्रबंधन पदाधिकारी से पन्नी उपलब्ध करवाकर जनता को मुहाईया करवाते हुए।

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Adityaaryasinha.blogspot.com Aditya arya sinha  

Aditya arya sinha fans club

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Aditya arya sinha social worker  

क्या मैं नींद में और

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 था मैं नींद में और  मुझे इतना  रुलाया जा रहा था, बड़े प्यार से मुझे  फंसाया जा रहा था, ना जाने  था वह कौन सा अजब खेल  मेरे जीवन में बच्चों की तरह मुझे  सताया जा रहा था, जो कभी देखते थे मुझे  मोहब्बत की निगाहें से उन्हीं के हाथों से नफरत  मुझ पर लुटाया जा रहा था, मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे  रोते हुए देखकर  जोर जोर से हंसकर मुझे  हर किसी के दिल से  गिराया जा रहा था, कांप उठी मेरी रुह  वो मंजर देखकर  जहां मुझे हमेशा के लिए  दफनाया जा रहा था, मोहब्बत की इंतहा थी मेरे लिए  उन्हीं दिलों के हाथों कल तक मैं  आजमाया जा रहा था।                           आदित्य आर्य सिन्हा                                  ।।रचयिता।। Aditya arya sinha लेटेस्ट Aditya arya sinha 2017  

हद से ज्यादा ना मिला

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हद से ज्यादा ना मिला,         केवल मिला तो निराशा।।तेरे सितम का गिरा क़हर,          मुझ पर परिताप बनकर।।ना होश ना ठिकाना,          बस रहा तो तमाचा।।बिहोशी के मदहोश में,           कष्ट परिचय हमारा।।मेरे हालात को ना परख,           मुसकिल निकृत समझना।।गुम-ऐ-नाम ज़िन्दगी मेरा,           रात कठिन घणघोर अंधेरा।‌।हुनर के आगे गूटपथ,           रहा गुम का शिल-शिला।।                             आदित्य आर्य सिन्हा                                  (रचनाकार)

सफर जिंदगी की जिया मजे ले ले कर

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 सफर ज़िन्दगी की जिया मजे ले ले कर।। प्रेम में भी, नफरत में भी।  रात घनघोर अंधेरा में भी। चिख ललकार की जिया मजे ले ले कर।। गम में भी, खुशी में भी। महत्वकांक्षी धैर्य में भी। ज़िद ललकार की जिया मजे ले ले कर।। नाकाम में भी, बदनाम में भी। दुखों के घेरे गरीबी में भी। संघर्ष ललकार की जिया मजे ले ले कर।‌। एकांत में भी, शोर में भी। बुरे हालात से उम्मीद के किरणों में भी। दूरदर्शिता ललकार की जिया मजे ले ले कर।।                                  ::- आदित्य आर्य सिन्हा                                            (रचनाकार) Aditya arya sinha

देखा मैंने वो मंजर

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 देखा   मैंने  वह  मंज़र,          अपनी उस बर्बादी का।।2।। मैं ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर कहा,          दिया प्रमाण निर्दोष का।।देखा..... फिर भी निगाहें मुझपर सबकी,          इशारा दिया गुरूर ने का।।देखा..... किसी की झुठी अफ़वाहें ने,          साज़िश मुझे गिराने का।।देखा..... और सर पर बोझ अंधकारों की,          सामना अपने  यारों  का।।देखा..... कोई बताए मुझे मैं क्या करूं,         ताल्लुकात मेरे ही यारों का।।देखा..... दुश्मन से तो टक्कर ली सौ-सौ बार,         अब सामना अपने रिश्तेदारों का।।देखा..... मेरी पीठ में खंज़र उतारा,          लिहाज़ा ज़ाहिलो का।।देखा..... और कय़ामत मेरी जिंदगी पर,          साया     गद्दारों      का।।देखा.....                                  रचनाकार:-                           आदित्य आर्य सिन्हा Aditya arya sinha adityaaryasinha.blogspot.com

दुनियां की नजर मुझ पर मां

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  दुनियां की नज़र मुझ पर माँ कहीं खो ना जांउ सन्नाटे में।। हालातों से डर जाता हूँ मैं.... अंगार की तरह क्यों चूभता माँ वे लोग क्यों बदल जातें हैं।। छोटे से सपने मेरे माँ खूशियों से ग़ले लग़ाने की।। अब उठती हैं महक माँ सुखे ग़ुलाबो के अफ़साने की।। बहुत हुआ देवता क्रूर नहीं माँ आओ "आदित्य" मंज़िल दूर नहीं।।                           ::- आदित्य आर्य सिन्हा                                    (रचनाकार)